“महिला संगठन के प्रयास से रुका दो नाबालिग बच्चियों का बाल विवाह”
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एक आकलन से पता चलता है कि भारत में हर साल 18 वर्ष से कम उम्र की कम-से-कम 15 लाख लड़कियों की शादी हो जाती है, जो वैश्विक संख्या का एक तिहाई है और इस प्रकार अन्य देशों की तुलना में भारत में बाल वधुओं की सर्वाधिक संख्या मौजूद है॰ वर्ष 2015-16 में आयोजित ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण’ (NFHS4) के चौथे दौर के आँकड़े से पता चलता है कि भारत में प्रत्येक चार लड़कियों में से एक की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो रही थी॰ विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार कोविड महामारी के दौरान बाल विवाहों की संख्या में वृद्धि देखी गई॰
बाल विवाह के मामले में देश की स्थिति जैसे ही स्थिति जनपद वाराणसी के विकासखण्ड बड़ागाँव के गांवों की भी है॰ यहाँ पर बाल विवाह प्रचलन में हैं॰ प्रगति पथ फ़ाउंडेशन 3 वर्ष पूर्व जब बड़ागाँव में कार्य करना शुरू की तब महिलाएं समाज में फैली इन कुरीतियों पर चुप रहती थीं, जब प्रगति पथ के प्रयास से महिला संगठित होकर संगठन बनाया तब उन्होने पहले स्वयं के आर्थिक और सामाजिक विकास पर कार्य करना शुरू किया॰ अब वे समाज में फैली महिलाओं के प्रति भेदभाव, हिंसा, पुरुषवादी सोच, बाल विवाह आदि के खिलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू कर दिया है॰
ग्राम पंचायत हमीरापुर के मुजहीं (ह
रिजन बस्ती) में दो नाबालिग बच्चियों का विवाह कम उम्र में ही तय कर दी गयी थी॰ जिसकी सूचना प्रगति पथ फ़ाउंडेशन से जुड़ी महिला संगठन की सदस्यों को हुई॰ सत्रह वर्षीय बालिका की शादी जून में प्रस्तावित थी और 14 वर्षीय बालिका की शादी 18 मई, 2022 को सुनिश्चित की गयी थी॰ महिला संगठन की सदस्यों ने मुजहीं गाँव में बच्चियों के अभिभावकों के साथ बैठक की और बाल विवाह से होने वाले हानियों को बताया, साथ ही साथ यह भी बताया कि बाल विवाह करना कानूनन अपराध है॰ सत्रह वर्षीय बालिका के अभिभावक ने इसे समझा और बालिका की शादी स्थगित कर दी॰ दूसरी 14 वर्षीय बालिका के अभिभावक बाल विवाह कराने पर अड़े रहे और शादी को स्थगित नहीं किया॰ जब महिला संगठन के सदस्यों और प्रगति पथ फ़ाउंडेशन के पदाधिकारियों के बार बार समझाने पर 14 वर्षीय नाबालिग बच्ची की शादी स्थगित नहीं की गयी, तब महिला संगठन ने प्रशासनिक सहयोग लेने का निर्णय लिया॰ उन्होने इस बाल विवाह की सूचना बाल कल्याण अधिकारी, वाराणसी और चाइल्ड लाइन 1098 पर दी॰ बालिका की शादी के एक दिन पूर्व दिनाँक 17 मई, 2022 को बाल कल्याण अधिकारी, चाइल्ड लाइन और थाना फुलपुर ने संयुक्त रूप से बाल विवाह को रोकने के लिए कार्यवाही की॰ जिसके लिए पहले उन्होने बच्ची के माता-पिता को बाल विवाह न करने के लिए समझाया, फिर भी बच्ची के माता-पिता नहीं माने तब बालिका को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति वाराणसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया॰ बाल कल्याण समिति के माननीय मजिस्ट्रेड ने प्रस्तुत साक्ष्यों में पाया कि बच्ची अभी भी नाबालिग है और इसका विवाह कराना बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में उल्लिखित प्रावधानों का उल्लंघन है, इसलिए उन्होने लड़की के बालिग होने तक विवाह रोकने और बालिका को बालिका गृह में रखने का आदेश दिया॰ बाल कल्याण समिति के इस फैसले से एक अवयस्क बालिका का बाल विवाह रुकना समाज को यह संदेश देता है कि बाल विवाह जैसी कुरीतियाँ समाप्त होनी चाहिए॰
रिजन बस्ती) में दो नाबालिग बच्चियों का विवाह कम उम्र में ही तय कर दी गयी थी॰ जिसकी सूचना प्रगति पथ फ़ाउंडेशन से जुड़ी महिला संगठन की सदस्यों को हुई॰ सत्रह वर्षीय बालिका की शादी जून में प्रस्तावित थी और 14 वर्षीय बालिका की शादी 18 मई, 2022 को सुनिश्चित की गयी थी॰ महिला संगठन की सदस्यों ने मुजहीं गाँव में बच्चियों के अभिभावकों के साथ बैठक की और बाल विवाह से होने वाले हानियों को बताया, साथ ही साथ यह भी बताया कि बाल विवाह करना कानूनन अपराध है॰ सत्रह वर्षीय बालिका के अभिभावक ने इसे समझा और बालिका की शादी स्थगित कर दी॰ दूसरी 14 वर्षीय बालिका के अभिभावक बाल विवाह कराने पर अड़े रहे और शादी को स्थगित नहीं किया॰ जब महिला संगठन के सदस्यों और प्रगति पथ फ़ाउंडेशन के पदाधिकारियों के बार बार समझाने पर 14 वर्षीय नाबालिग बच्ची की शादी स्थगित नहीं की गयी, तब महिला संगठन ने प्रशासनिक सहयोग लेने का निर्णय लिया॰ उन्होने इस बाल विवाह की सूचना बाल कल्याण अधिकारी, वाराणसी और चाइल्ड लाइन 1098 पर दी॰ बालिका की शादी के एक दिन पूर्व दिनाँक 17 मई, 2022 को बाल कल्याण अधिकारी, चाइल्ड लाइन और थाना फुलपुर ने संयुक्त रूप से बाल विवाह को रोकने के लिए कार्यवाही की॰ जिसके लिए पहले उन्होने बच्ची के माता-पिता को बाल विवाह न करने के लिए समझाया, फिर भी बच्ची के माता-पिता नहीं माने तब बालिका को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति वाराणसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया॰ बाल कल्याण समिति के माननीय मजिस्ट्रेड ने प्रस्तुत साक्ष्यों में पाया कि बच्ची अभी भी नाबालिग है और इसका विवाह कराना बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में उल्लिखित प्रावधानों का उल्लंघन है, इसलिए उन्होने लड़की के बालिग होने तक विवाह रोकने और बालिका को बालिका गृह में रखने का आदेश दिया॰ बाल कल्याण समिति के इस फैसले से एक अवयस्क बालिका का बाल विवाह रुकना समाज को यह संदेश देता है कि बाल विवाह जैसी कुरीतियाँ समाप्त होनी चाहिए॰
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